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अपना घर….

तितली
तितली
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राधा जब सोलह बरस की ही थी तभी उसकी शादी हो गई थी। राधा के घरवालों ने घर परिवार अच्छा  देखा इसलिए आनन फानन उसकी शादी कर दी। अकेली बेटी थी इसलिए माँ बाप ने दीन दहेज़ में कोई कसर नही छोड़ी। खेत खलिहान सब गिरवी रख दिया उसकी शादी के लिए। अभी कुछ दिन पहले ही राधा अपनी ससुराल से किसी तरह जान बचाकर भाग आई। इसकी वजह यह थी कि राधा के ससुराल वालें रोज उसे मरते पीटते। और कहते कि वह अपने माँ बाप से कहे कि अगर वह अपनी बेटी की ख़ुशी चाहते है,तो वो उन्हें और पैसे दे। राधा  जानती थी कि किस तरह उसके माँ बाप ने उसकी शादी की है। इसलिए वह चुपचाप उन  के मर और ताने सह लेती। पर अपने माँ और बाबा से कुछ न कहती।हद तो उस दिन हो गयी थी जिस दिन उसके ससुराल वालों ने उसे आग में झोंकने की कोशिश की थी। पता नही कैसे वह अपनी जान बचाकर भाग आई थी अपने मायके। इन्ही ख्यालों में डूबी राधा आंगन में सब्जी काट रही थी।

इतने में राधा के भाई की बिटिया छुटकी रोते हुए आई और राधा की गोद में बैठ गई। वह मात्र 8 वर्ष की ही थी। राधा ने उसे पुचकारते हुए पूछा।
“क्या हुआ मेरी बिटिया रानी को ?” उसने बड़ी ही मासूमियत के साथ कहा। “बुआ, तुम मुझे मेरे घर भिजवा दो। यहाँ भईया मुझसे रोज लड़ाई करता है और रोज रोज मुझे मरता है।मैं अपने घर चली जाऊँगी तो फिर कभी इन लोगों से कभी बात नही करुँगी।”
“ये क्या बोल रही है छुटकी ? ये तुमसे किसने कहा कि ये तुम्हारा घर नही है ?”
“नही बुआ ये मेरा घर नही है। भईया मुझसे कहता है कि ये मेरा घर नही है। मेरा घर कहीं और है। और कल बाबू जी भी अम्मा से कह रहे थे कि छुटकी को उसके घर भेजना पड़ेगा इसलिए दहेज़ के लिए अभी से पैसे इक्कठा करना शुरू कर दो।” अपनी बात खत्म नही की कि छुटकी ने तपाक से दीदी से पूछ बैठी।
“दीदी,ये दहेज़ क्या होता है? क्या अपने घर जाने के लिए पैसे देने पड़ते है?”
छुटकी की मासूमियत भरी बातों को सुन कर राधा की आंख में आंसू भर आये। वह छुटकी की बात का कोई जवाब नही दे पाई। बस उसने छुटकी को प्यार से   अपनी बाँहों में भर लिया और कहा “हाँ छुटकी! अपने घर जाने के लिए बहुत सारे पैसे की जरूरत पड़ती है। और उसी को दहेज़ कहते है। और अगर  हम ये पैसे ना  दे पाए तो वो अपने लोगों हमे बहुत मरते है।”
“भईया से भी ज्यादा ?” छुटकी ने राधा से पूछा।
राधा ने आहें भरते हुए कहा,”हाँ,भईया से भी ज्यादा।”
“फिर मैं कभी नही जाऊँगी अपने घर।” इतना कहते छुटकी अपनी बुआ से लिपट गई।

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